Manipur Crisis| सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस गीता मित्तल समिति को सेंट्रल यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर की मांग करने वाले स्टूडेंट की शिकायतों का समाधान करने का निर्देश दिया

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सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति को मणिपुर यूनिवर्सिटी से विस्थापित 25 स्टूडेंट द्वारा उठाई गई व्यक्तिगत शिकायतों पर गौर करने का निर्देश दिया, जो अन्य सेंट्रल यूनिवर्सिटी में स्थायी ट्रांसफर की मांग कर रहे हैं। मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा के कारण स्टूडेंट विस्थापित हुए हैं।

मणिपुर यूनिवर्सिटी से संबंधित 25 स्टूडेंट ने जेएनयू आदि जैसे अन्य सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पूरी तरह से ट्रांसफर होने की मांग की है।

यह ध्यान देने योग्य है कि नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर यूनिवर्सिटी के 284 स्टूडेंट की याचिका पर सुनवाई की थी, जिन्होंने मणिपुर हिंसा के मद्देनजर ट्रांसफर की मांग की थी। न्यायालय ने स्टूडेंट के लिए तीन विकल्प प्रदान किए – 1) मणिपुर यूनिवर्सिटी में ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लें; 2) असम यूनिवर्सिटी, सिलचर या; 3) नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग में भाग लें।

25 स्टूडेंट की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने जोर देकर कहा कि न तो असम यूनिवर्सिटी और न ही एनईएचयू, शिलांग स्टूडेंट को प्रैक्टिकल करने की सुविधा प्रदान कर रहा है। स्टूडेंट मुख्य रूप से विज्ञान की पढ़ाई कर रहे हैं।

इसके विपरीत, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं और असम यूनिवर्सिटी और एनईएचयू, शिलांग दोनों ने प्रैक्टिकल की पेशकश की है, लेकिन स्टूडेंट चाहते हैं कि प्रैक्टिकल उन यूनिवर्सिटी में हों, जहां वे वर्तमान में रह रहे हैं – दिल्ली आदि।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति को एक सप्ताह के भीतर 25 स्टूडेंट द्वारा उठाई गई शिकायतों पर व्यक्तिगत रूप से विचार करने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा,

“हम याचिकाकर्ताओं के वकील को जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष सभी 25 स्टूडेंट की ओर से साझा नोट प्रस्तुत करने की अनुमति देते हैं। हम समिति से अनुरोध करते हैं कि वह स्टूडेंट द्वारा दायर प्रत्येक शिकायत पर गौर करे और जहां संभव हो नोडल अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करके उनकी शिकायतों का समाधान करे। यह अभ्यास 1 सप्ताह के भीतर पूरा किया जाना है।”

पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि समिति को इस न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के किसी भी समर्थन की आवश्यकता है, जिसका संकेत दिया जा सकता है।

गौरतलब है कि पिछले सुप्रीम कोर्ट ने समिति को स्टूडेंट की स्थिति में सहायता के लिए बेहतर प्रशासनिक निर्णय लेने का निर्देश दिया। समिति वर्तमान में मणिपुर में जातीय हिंसा के कई मानवीय पहलुओं को देख रही है।

केस टाइटल: मणिपुर यूनिवर्सिटी ईआईएमआई वेलफेयर सोसाइटी और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य। एमए 762/2024 डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 1307/2023 में



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